क्रिकेट / सचिन भी चार दिवसीय टेस्ट मैच के खिलाफ, कहा- वर्तमान प्रारूप में बदलाव से नुकसान होगा

खेल डेस्क. सचिन तेंदुलकर ने चार दिन के टेस्ट मैच का विरोध किया। उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट के वर्तमान स्वरूप से छेड़छाड़ करना गलत होगा। सचिन के मुताबिक, आईसीसी के इस प्रस्ताव की वजह व्यावसायिक हो सकती है लेकिन इससे क्रिकेट की मूल भावना को नुकसान होगा। सचिन के पहले विराट कोहली, रिकी पोंटिंग, जस्टिन लेंगर और नाथन लॉयन के अलावा शोएब अख्तर भी चार दिन के टेस्ट मैच के विचार को खारिज कर चुके हैं।  



पांच दिन का टेस्ट फॉर्मेट 143 साल पहले शुरू किया गया था। आईसीसी इसे पांच से घटाकर चार दिन करना चाहती है। लेकिन, विरोध करने वालों को अब मास्टर ब्लास्टर का भी समर्थन मिल गया है।


‘अगर टेस्ट मैच का एक दिन कम होगा तो स्पिनर्स को भी नुकसान होगा’


सचिन ने कहा, “मैं टेस्ट क्रिकेट के फॉर्मेट में बदलाव का समर्थन नहीं करूंगा। यह वैसा ही रहना चाहिए, जैसा कई साल से चला आ रहा है। यह तो सीमित ओवरों की क्रिकेट का विस्तार होगा। दूसरे दिन लंच पर ही बल्लेबाज सोचने लगेगा कि अब बस ढाई दिन का खेल ही रह गया है। यानी सोच बदल जाएगी। अगर टेस्ट मैच का एक दिन कम होगा तो स्पिनर्स को भी नुकसान होगा। आखिरी दिन पिच में टर्न होता है, इसका फायदा फिरकी गेंदबाज कैसे ले पाएंगे। पहले दो दिन तो स्पिनर्स को टर्न और बाउंस नहीं मिलता। तेज गेंदबाज तो वैसे भी पांचवे दिन गेंदबाजी नहीं करना चाहते।”   


‘प्रस्ताव की वजह व्यावसायिक ज्यादा’
सचिन के मुताबिक, आईसीसी के इस प्रस्ताव की वजह व्यावसायिक ज्यादा हैं। उन्होंने कहा, “चार दिन के टेस्ट मैच का प्रस्ताव व्यावसायिक और दर्शकों को आकर्षित करने के लिए पेश किया गया। पहले ही हम टेस्ट से वनडे और फिर टी20 की तरफ जा चुके हैं। अब टी10 फॉर्मेट भी मौजूद है। लेकिन, मूल रूप तो टेस्ट ही हैं। कम से कम एक फार्मेट तो ऐसा हो जहां बल्लेबाजों के कौशल और तकनीक की परीक्षा हो। कई बार उन्हें मुश्किल हालात में लंबी बैटिंग करनी होती है।” 


‘अच्छे विकेट तैयार किए जाएं’
टेस्ट और वनडे में सर्वाधिक रन बनाने वाले सचिन टेस्ट क्रिकेट की बेहतरी के लिए सुझाव भी देते हैं। सचिन ने कहा, “अगर टेस्ट क्रिकेट को बेहतर बनाना है तो अच्छे विकेट बनाए जाने चाहिए। क्योंकि पिच अच्छी होगी तो मैच भी बोरिंग नहीं होगा। विकेट्स ऐसे बनने चाहिए जिसमें बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों को मदद मिले। बल्लेबाज को महसूस होना चाहिए कि वो गलती नहीं करेगा तो आउट नहीं होगा। और गेंदबाज को लगना चाहिए कि वो बैट्समैन को गलती पर मजबूर करे।”